मन गंगा
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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
Kehne do....
कुछ तो कहने दो....
होंठ मौन भी हो अगर.....
आँखों को ही कहने दो...
बात रूकती है रुकने दो...
रात झुकती है झुकने दो...
कहीं तो कोई बात हो मगर....
इसी लिए ही कहने दो..
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