मुझे लौट जाना है
कुछ हरफ़ लुटा कर
शब्दों के अंतरीप बना कर
मुझे लौट जाना है
चाँद अनमना सा
बुलाता है
बादलों के संदेश
भिजवाता है
बूंदों की रागिनी
सुनाता है
सच्चे झूठे सपने
दिखाता है
मुझे सपनों में घर
बनाना है
मुझे लौट जाना है
खड़ी कब से धरती
के छोर पर
ध्रुवों की सर्द हवाओं
के शोर पर
बर्फ की सफेद गली
के मोड़ पर
मुझे आकाश की बाहों में
समाना है
मुझे लौट जाना है।
-- डॉ प्रिया सूफ़ी
कुछ हरफ़ लुटा कर
शब्दों के अंतरीप बना कर
मुझे लौट जाना है
चाँद अनमना सा
बुलाता है
बादलों के संदेश
भिजवाता है
बूंदों की रागिनी
सुनाता है
सच्चे झूठे सपने
दिखाता है
मुझे सपनों में घर
बनाना है
मुझे लौट जाना है
खड़ी कब से धरती
के छोर पर
ध्रुवों की सर्द हवाओं
के शोर पर
बर्फ की सफेद गली
के मोड़ पर
मुझे आकाश की बाहों में
समाना है
मुझे लौट जाना है।
-- डॉ प्रिया सूफ़ी
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