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शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

वो मेरा चाँद...

उसके अंदाज़ का क्या कहना 
किरणें लुटा कर जो
रौशनी मांगता है 
वो मेरा चाँद रात भर 
चांदनी मांगता है ...!
मेरी आगोश में सिमट कर 
मेरी बाहों में लिपट कर 
अमी का सागर स्वयं 
अधरों की प्याली माँगता है 
वो मेरा चाँद रात भर 
चांदनी मांगता है ...!
बिछौने पर बिछे हुए 
लिहाफ सब लिए हुए 
वसन पट खोल सब 
परस की सुराही मांगता है 
वो मेरा चाँद रात भर 
चांदनी मांगता है ...!
बाहें फैला बुलाऊँ तो 
तन कण मन दिखाऊँ तो 
तड़प तरस खुद में 
सिमट सा जाता है 
वो मेरा चाँद रात भर 
चांदनी मांगता है !

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