फ़ॉलोअर

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

तरस गई तरस गई...


 
 
द्वार द्वार भटक ई 
तेरी एक झलक को 
तरस  तरस ई 
 
खाली जाम पिए हुए 
तेरा नाम लिए हुए
कहे बिना बहक ई 
सुने बिना लहक ई 
चाँद आया बेवजह 
तन मन सजाया बेवजह 
बाहों में बिखर ई 
अधरों से लिपट ई 
कतरा कतरा टूटी थी
बूंदों में सिमट ई 
तूने देखा कुछ इस तरह
तेरी हो निपट ...!  
 

19 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बावरी सी अभिव्यक्ति

Sufi ने कहा…

रश्मिप्रभा जी,
मोहब्बत बावरी न हो तो मोहब्बत कैसी ??? धन्यवाद...आभार.....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

khoobsurat ehsaas

Sufi ने कहा…

Thanks Surender...

Ramakant Singh ने कहा…

BEAUTIFUL LINES WITH DEEP EXPRESSION

Ramakant Singh ने कहा…

BEAUTIFUL LINES

Sufi ने कहा…

Ramakant ji,
bahut bahut Dhanyavaad! Mere blog main aapka swaagat hai....

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर सुन्दर सी भावपूर्ण प्रस्तुति.
अभिव्यक्ति का यह अंदाज अच्छा लगा.

पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
अति प्रिय लगी आपकी प्रस्तुति,प्रिया जी.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

Sufi ने कहा…

Rakesh ji,
Aapka hardik Swagat..! Dhanyavaad aane ka bhi aur sraahne ka bhi...

Rahul Bhatia ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Sufi ने कहा…

Dhanyavaad Rahul ji...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सचमुच बावरी सी अभिव्यक्ति....मोहब्ब्त बना ही देती है दीवाना.....

सुन्दर!!!

Dasarath Singh ने कहा…

बहुत अच्छा लगा हमे.

Dasarath Singh ने कहा…

बहुत अच्छा लगा हमे.

Unknown ने कहा…

kavitaon main ik sampooran istree batiati hai.

Sufi ने कहा…

Dhanyavaad Anuji Suswagatam !!!

Sufi ने कहा…

Dasrath ji der se uttar dene ke liye Maafi chahti hoon..Thanks so much! Swagat hai aapka

Sufi ने कहा…

Aap hi bnaaye huyee Ganga hai Prabhu...Ahubhagya aapke Shabad mile...Charan Naman

Unknown ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.....